Friday, 14 October 2016
Wednesday, 12 October 2016
Tuesday, 11 October 2016
" मुस्लिम इतिहास की एक हिन्दू कथा "
" मुस्लिम इतिहास की एक हिन्दू कथा "
हर साल मुहर्रम के दिन दुनिया भर के मुसलमान कूफे के बादशाह यजीद द्वारा पैगम्बर हजरत मौहम्मद के नवासे, हजरत इमाम हुसैन की उनके 74 संबंधियों के साथ तड़पा-तड़पा कर करबला के मैदान में की गई हत्या की याद में रो-रोकर मातम मनाते हैं लेकिन एक मुस्लिम इतिहासकार ने जो बताया है उसे कोई नहीं बताता। उसने लिखा है कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत का बदला एक हिंदू ब्राहम्ण कबीले के सरदार राजा सिंहभोग ने लिया था। वह स्वयं को द्रोणाचार्य का वंसज मानता था। जब उसने सुना की हजरत इमाम हुसैन के साथ ऐसा अन्याय हुआ है तो उसने कूफे के किले पर आक्रमण किया और अपने हाथों से हजरत इमाम हुसैन के हत्यारे यजीद की सिर काट डाला। यद्यपि इस युध्द में उसके सात बेटों में से चार बेटे शहीद हुए लेकिन उसने उमाम हुसैन की हत्या का बदला लेने का जश्न मनाया। समूचे अरब ईरान में डोंगी पिटवाकर ऐलान करवाया कि मुसलमान भाइयों शांत हो जाओ हमने इमाम हुसैन की शहादत का बदला ले लिया है। इस घटना के बाद से वे ब्राहम्ण राजा और उसके वंशज हुसैनी ब्राहम्ण कहलाए। पंजाब के शिक्षा मंत्री रहे कृष्णदत्त शर्मा हुसैनी ब्राहम्ण थे। यहां तक की सुनील दत्त भी खुद को हुसैनी ब्राहम्ण कहते थे। मुस्लिम भाटों ने इस युद्ध की याद में हुसैनी पोथी लिखी जो आल्हा के समान वीर काव्य है। जिसे मुहर्रम के दिन मुस्लिम भाट हुसैनी ब्राहम्णों के इलाकों मंम जाकर गा-गाकर सुनाया करते थे।
हर साल मुहर्रम के दिन दुनिया भर के मुसलमान कूफे के बादशाह यजीद द्वारा पैगम्बर हजरत मौहम्मद के नवासे, हजरत इमाम हुसैन की उनके 74 संबंधियों के साथ तड़पा-तड़पा कर करबला के मैदान में की गई हत्या की याद में रो-रोकर मातम मनाते हैं लेकिन एक मुस्लिम इतिहासकार ने जो बताया है उसे कोई नहीं बताता। उसने लिखा है कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत का बदला एक हिंदू ब्राहम्ण कबीले के सरदार राजा सिंहभोग ने लिया था। वह स्वयं को द्रोणाचार्य का वंसज मानता था। जब उसने सुना की हजरत इमाम हुसैन के साथ ऐसा अन्याय हुआ है तो उसने कूफे के किले पर आक्रमण किया और अपने हाथों से हजरत इमाम हुसैन के हत्यारे यजीद की सिर काट डाला। यद्यपि इस युध्द में उसके सात बेटों में से चार बेटे शहीद हुए लेकिन उसने उमाम हुसैन की हत्या का बदला लेने का जश्न मनाया। समूचे अरब ईरान में डोंगी पिटवाकर ऐलान करवाया कि मुसलमान भाइयों शांत हो जाओ हमने इमाम हुसैन की शहादत का बदला ले लिया है। इस घटना के बाद से वे ब्राहम्ण राजा और उसके वंशज हुसैनी ब्राहम्ण कहलाए। पंजाब के शिक्षा मंत्री रहे कृष्णदत्त शर्मा हुसैनी ब्राहम्ण थे। यहां तक की सुनील दत्त भी खुद को हुसैनी ब्राहम्ण कहते थे। मुस्लिम भाटों ने इस युद्ध की याद में हुसैनी पोथी लिखी जो आल्हा के समान वीर काव्य है। जिसे मुहर्रम के दिन मुस्लिम भाट हुसैनी ब्राहम्णों के इलाकों मंम जाकर गा-गाकर सुनाया करते थे।
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