Wednesday, 27 September 2017

वाह! यशवंत सिन्हा जी वाह!

वाह! यशवंत सिन्हा जी वाह!



आर्थिक मोर्चे पर सरकार को विफल कहने वाले आप ज़रा इन कार्टून्स को देखिये। जो आप ही के दौर के हैं। इन्हें देखकर शायद आपको अपना कार्यकाल याद आ जाए...



कहते हैं कि कार्टून समय का प्रतिबिंब होते है। बताइये! इन कार्टून्स में देश की अर्थव्यवस्था में आपको कहां मजबूती नज़र आ रही है। और केवल आपके दौर में ही क्यों मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम के दौर में भी अर्व्यवस्था कौन सी बहुत मजबूत थी?



जीडीपी के घटने और बढ़ने का खेल तो बस आप जैसे अर्थशास्त्रियों के मनोरंजन के लिए होता है। आम आदमी को इससे क्या लेना देना। महंगाई दर, मुद्रा स्फिति, विकास दर, बजट घाटा इत्यादि-इत्यादि शब्द तो बस आज जैसे लोगों के मुंह में ही शोभा देते हैं।



आप कहते हैं कि जेटली जी देशवासियों को करीब से गरीबी दिखाएंगे। जरूर दिखाएंगे। जब गांव-गांव सड़क पहुंचेगी तब हम क्या आप भी गरीब और गरीबों को पास से देख पाएंगे। जिन्हें आज़ादी के इतने सालों तक किसी ने नहीं देखा।



ज़रा ये भी तो बताइये कि आपने अपने कार्यकाल में कितने कठोर फैसले लिए? भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कितने कदम उठाए। अर्थव्यवस्था में कमी का रोना तो आपने खूब रोया लेकिन आज भ्रष्टाचार के कम होने से अर्थव्यवस्था में कितना पैसा आया वह नहीं बताया। उसकी तारीफ नहीं की।



आपने सही कहा कि नोटबंदी ने आग में घी का काम किया। आप ही बताइये कि लोगों के घरों में दबा करोड़ों रुपया निकालने का इससे आसान तरीका और क्या हो सकता था? बताइये, क्या भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए इस वित्त मंत्रालय ने जितने कदम उठाए हैं क्या आज तक इससे पहले कभी किसी ने उठाए? नोटबंदी एक बड़ा फैसला था। इससे उबरने में देश को कुछ वक्त लगेगा या नहीं? फिर भी आप जैसे वरिष्ठ दूरगामी फैसले को इतने कम समय में आंके तो आपको क्या कहा जाए।



टैक्स की बात भी थोड़ी कर लीजिए यशवंत सिन्हा साहब! जानते हैं कितने नए करदाता इस साल सरकार ने जोड़े है? टैक्स से सरकार की कितनी आमदनी बढ़ी है? टैक्स चोरी के कितने मामले सरकार ने पकड़े हैं? पचास सालों में एक भी साल ऐसा बता दीजिए जब इस औसत से अधिक कर और करदाता सरकार ने इक्ट्ठे किए हों?



आपने कहा कि जेटली को लोकसभा हारने के बावजूद वित्तमंत्री बनाया गया। तो ज़रा एक सवाल सोनिया जी से क्यों नहीं पूछते कि बिना लोकसभा लड़े उन्होंने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री को बनाया?



ज़रा आपके और कांग्रेस के समय राज्यों के राजकोषों की क्या स्थिति थी। यह भी आप जनता को बताते तो अच्छा होता। और आज राज्यों के खज़ाने कितने भरे हैं ज़रा यह भी देखिए। आज राज्यों के पास जितना पैसा है क्या इससे पहले कभी था?





ज़रा बैंकों की बात कर लीजिए। आपने कभी किसी गरीब का बैंक खाता खुलवाया। कभी सोचा था कि बैंकों में गरीबों के इतने खाते खुलेंगे? प्रधानमंत्री जनधन योजना में आज जितने बैंक खाते खुले और उनमें जो पैसा आया वह भी देख लीजिए।



एकाएक देश में 6 करोड़ शौचालय के लिए धन कहां से आया? 3 करोड़ से अधिक गैस के चूल्हे मुफ्त में सरकार ने कैसे बांटे? शेयर सूचकांक 30 के पार कैसे पहुंचा? आगे भी हर घर बिजली मुफ्त कैसे पहुंचने वाली है।क्या इसका अर्थव्यवस्था का कोई लेना देना नहीं है।



...और हां...बीते तीन सालों में आपने किसी घोटाले के बारे में सुना क्या..?



आप कहते हैं कि "मुझे अब बोलना ही होगा। I need to speak up now." बोलिए, जरूर बोलिए। मगर दिल पर हाथ रखकर बोलिए। मात्र किसी पर व्यक्तिगत हमले कर के आप अर्थव्यवस्था की दुर्दशा का रोना नहीं रो सकते।



अभी के लिए इतना ही।










Wednesday, 30 August 2017

मुंबई...

मुंबई...
तुझे 'बीएमसी' पर भरोसा नहीं क्या...
बारिश की बूंदे लगे तुझे गोल-गोल...
छोटे-छोटे गड्ढे लगते तुझे "मैनहोल"
मुंबई...तुझे..


Friday, 25 August 2017

"गणपति बाप्पा मोरया"


"गणपति बाप्पा मोरया"


मन में हर्ष है। एक नई उमंग है। हाथों में एक नई कलाकृति है, एक नई सोच। निर्मित आकृति छोटी या बड़ी हो सकती है। बहुत सुन्दर या उससे कमतर हो सकती है। बावजूद इसके मन का सहज-सरल है। जैसा की बाल्यावस्था में होता है। न राग न द्वेष। न कोई लोभ न मोह। जिसे मेरे गुरू, मेरे नाना स्वर्गीय रामचंद्र रघुनाथ करंदीकर कलात्मक वैराग्य कहते थे।
बस निरंतर एक ही जाप "ओम गं गणपतयेनमः" कब मैं अपने इष्ट के दर्शन करूं और कब उन्हें अपनें हाथं से सजा पाऊं।
एक इच्छा रहती है कि हर साल मैं अपने, बाप्पा श्री गणेश को नए आकार, नए प्रकार, नई प्रकृति, नई विषय वस्तु के साथ देख सकूं। श्री गणेश ने मेरी यह इच्छा इस वर्ष भी पूर्ण की है। जो आपके सामने हैं। आप इसका मूल्यांकन करने को स्वतंत्र है। मैं तो बस एक निमित्त हूं। इसे साकार करने के लिए...
।।जय श्री गणेश।।











Sunday, 13 August 2017

Thursday, 10 August 2017

अंसारी जी के बिगड़े बोल...


अंसारी जी के बिगड़े बोल...




इंदिरा से राहुल तक

" परम संतोष "

आज इस बात का संतोष है कि
मुझे आज़ादी के आंदोलन में कूदने का अवसर
नहीं मिला...अन्यथा मेरी सारी मेहनत
नेहरू-गांधी के खाते में चली जाती
और मैं विपक्ष में बैठ कर घंटी बजा रहा होता...
यहां तक कि मेरी पुश्ते, इंदिरा से राहुल पर्यंत यह ताने सुनते-सुनते ऊब चुकीं होती कि "उस वक्त कुछ ऐसे भी लोग थे, जिनका आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा।" 🤣🤣

Monday, 7 August 2017

Sunday, 6 August 2017

Thursday, 3 August 2017

Tuesday, 1 August 2017


विधायकों को मनाना मुश्किल है



Tuesday, 14 March 2017

Friday, 10 February 2017

KARO!





KARO!
....मतलब
(P)पहले  (A)आज  (Y)यार  (T)तुम (M)मतदान करो।







Thursday, 5 January 2017

KAH K RAHENGE


CARTOON COLUMN
KAH K RAHENGE
(DAINIK JAGRAN )
05 / JAN / 20017


KAH K RAHENGE


CARTOON COLUMN
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(DAINIK JAGRAN )
04 / JAN / 20017


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(DAINIK JAGRAN )
03 / JAN / 20017


KAH K RAHENGE

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(DAINIK JAGRAN )
02 / JAN / 20017