Sunday 28 October 2018

एक पिता की जन्मकथा


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Wednesday 18 July 2018

बादल वितरण में धांधली...

बादल वितरण में धांधली...




आज स्वर्ग के अधिष्ठाता देवराज इंद्र समय पर ऑफिस आ धमके। अमूमन तो वे 11 बजे के बाद ही ऑफिस में प्रकट होते हैं। अभी 10:30 ही बजे थे। ऑफिस पूरी तरह से खुला भी नहीं था कि एकाएक प्रधान सचिव हांफते, भागते देवराज के कक्ष में दखिल हुए। देवराज-देवराज बड़ी समस्‍या आन पड़ी है, ये धरतीवासी मानसून में वर्षा जल के वितरण को लेकर हम पर अनियमित्ताओं का आरोप लगा रहे हैं। ज़रा नीचे झांक कर तो देखिए, बड़ा बवाल काट रहे हैं सब के सब।
क्या...?” देवराज एकाएक प्रश्नवाचक हुए।
जी जनाब...और सुना है इस घटना की खब़र देवाधिदेव के कानों तक जा पहुंची है। प्रधान सचिव बोले।
''इनको कितना भी दो कम ही पड़ता है। वर्षाजल वितरण में ज़रा ऊपर नीचे हुआ नहीं कि सूखा-सूखा, बाढ़-बाढ़ चिल्लाने लगते हैं। मुआवजा मांगना तो जैसे इनका जन्मसिद्ध अधिकार हो गया है। कहते हुए देवराज अपने दांत पीस बैठे।
आपकी बात पते की है साहब लेकिन हमें जल्द ही कुछ करना होगा उन्यथा धरती पर फिर वही मेंढक की पूजा, भैंस की पूजा इत्यादि- इत्यादि शुरू हो जाएगा तो आप दिक्कत में आ जाएंगे। वैसे भी चुनाव नजदीक हैं और आप ही के राज्य में समस्या सबसे विकट है। प्रधान सचिव ने हौले से देवराज के कान में कहा।
यहां बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वहां देवराज ने मानसून से संबंधित चार-छः फाइलें पलटमारी। फाइलें पलटते रहे और बड़बड़ाते रहे, ''यहां-वहां पानी बर्बाद करते हैं और फिर बाद में चिल्‍लाते हैं।'' “बोलो किस एरिया में प्रॉब्‍लम है?'' देवराज के कहने की देर थी कि प्रधान सचिव ने तड़ातड़ दस-पंद्रह क्षेत्र गिना दिए।
इन्द्र बोले, ''ऐसा करो, तत्काल एक मीटिंग बुला लो। विशेषकर, स्‍टोर इंचार्ज और पानी गिरवाने वालों को भी बुलाओ।''
''जी सर।'' प्रधान सचिव के कहते ही सब के सब पदाधिकारी मीटिंग हॉल में प्रकट हुए।
मीटिंग चालू हुई, एरियावाईज प्रेजेंटेशन होने लगा। किस क्षेत्र को कितने बादल आवंटित किए गए उसके आंकड़ें रखे जाने लगे।
आंकड़ों पर एक नज़र मारते हुए प्रधान सचिव बोले, ''दे तो रहे हैं सबको बराबर। पिछले साल भी दिया था।''
''... फिर इस बार लोचा कहां आ गया? अभी तो इन क्षेत्रों में वर्षा होनी चाहिए थी?'' बादल वितरण वाले महकमें के इंचार्ज से इंद्र ने पूछा।
अपने पाले में गेंद आती देख बादल विभाग के इंचार्ज ने कहा, ''सर जिस इलाके को जितने बादल आवंटित करने थे, वे किए गए। हमारा रिकॉर्ड देख लिजिए। बादलों का शत-प्रतिशत जल गिरया जा चुका है।''
''अरे तो फिर पानी गया कहां..? ''
तभी किसी ने हस्तक्षेप करते हुए देवराज को सूचित किया कि, ''दरअसल सर, इसमें गलती बादल विभाग की नहीं बल्कि वायू विभाग की है। यही लोग इधर का उधर कर देते हैं।''
''वो कैसे..?'' इंद्र ने वायू विभाग पर वक्र दृष्टि डाली।
''...इसमें हमारी कोई गलती नहीं है सर...नए सॉफ्टवेयर की प्राब्लम है। प्रधान सचिव से पहले भी हम दो बार कह चुके हैं। दरअसल जिस कंपनी से हमने नया सॉफ्टवेयर लिया था वो सही से काम नहीं कर रहा। अब सॉफ्टवेयर की वजह से बादलों का प्लेसमेंट गड़बड़ाएगा तो हम कर भी क्या सकते हैं?'' कहकर वायू विभाग के इंचार्ज ने अपना पल्ला झड़ा।
सुनते ही इंद्र का पारा चढ़ा, ''क्या बेहूदगी है। कोई अपनी जिम्मेदारी ही नहीं समझ रहा। सब एक-दूसरे की ओर बॉल उछाल रहे हैं। दो-चार को सस्पेंड करूंगा तब समझ आएगा।'' 
इंद्र को कुपित होता देख मिटिंग में एकाएक सन्नाटा पसर गया। सब अपनी-अपनी बगलें झांकने लगे। बात बिगड़ती देख प्रधान सचिव उठे और पुनः इंद्र के कान में बुदबुदाए। ''सर, असल समस्या तो आपकी वजह से है...पिछले साल आप ही के कहे अनुसार उस क्षेत्र को कोटे से ज्‍यादा बादल दिए थे। वे अन्य क्षेत्रों से एडजेस्‍ट किए गए थे। रही 300 बादलों के हेराफेरी की बात तो उसमें वायू विभाग के सचिव और बादल वितरण विभाग के कुछ कर्मचारियों पर जांच बैठी है। जिसमें एक मामला आपकी रिश्तेदारी का भी था। वही शादी वाला...आप ही ने तो भरी गर्मी में दस बादल अलॉट कराकर वहां मौसम खुशनुमा बनाया था।''
देवराज अपनी आस्तीन मैली होती देख एकाएक मीटिंग में लौटे। ''ठीक है, ठीक है। लेकिन ऐसा कैसे चलेगा?''
फिर सचिव बोले ''सर, वैसे भी इस बार थोड़ा प्रेशर है, छःह माह बाद चुनाव हैं। यदि तत्काल व्यवस्था नहीं की तो विपक्षियों को बैठे-बैठे एक मुद्दा हाथ लग जाएगा।
सुनते ही इंद्र ने स्‍टोर इंचार्ज  से कहा, ''ऐसा करो कुछ बादल पड़े हो तो इन क्षेत्रों को दे दो गिरवाने के लिए।''
इंचार्ज ने लेपटॉप पर डाटा टटोला और कहा, ''सर, तकरीबन 500 बादल अभी स्टॉक में हैं। लेकिन वे अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। जिनमें साठ प्रतिशत काले और चालीस प्रतिशत सफेद हैं। पर इनकी कोई गारंटी नहीं है। बरसें या न भी बरसें..''
तभी प्रधान सचिव ने एक बार पुनः देवराज की याददाश्त दुरुस्त की। ''ये वही बादल है सर, जिस फर्म को आपकी पहचान से बादल निर्माण का ठेका मिला था।''
सुनते ही इंद्र ने सभी सदस्यों पर एक हल्की सी निगाह ड़ाली और हौले से प्रधान सचिव को कहा, ''अंधेरा तो छाएगा न? थोड़ी झमाझम हो जाए बस। कितनी बार कहा है थोड़ा स्‍टॉक अलग रखा करो। अगली बार ये नौबत नहीं आनी चाहिए। ...और हां, विद्युत विभाग से कहो कि बीच-बीच में थोड़ी बहुत बिजली चमकाते रहें। एकाद जगह बिजली गिरा भी दें तो कोई हरज नहीं.. कोई निपटा तो मुआवजा दे देंगे। कम से कम बारिश रिकॉर्ड में तो आ जाएगी। ख़बर बनेगी सो अलग।''
चाय खत्‍म हो चुकि थी। देवराज इंद्र वायू गति से कक्ष के बाहर निकल पड़े। पीछे-पीछे प्रधान सचिव थे। वे कह रहे थे, ''दस दिन बाद एक मीटिंग फिर रखो। नीचे से फीडबैक लो और स्टेटस रिपोर्ट तैयार करो... ''  
मीटिंग खत्‍म हुई, धरती पर घनघोर बादल छा गए। धरतीवासी खुशी से झूम उठे, अख़बारों में बड़ी ख़बर बनी। मांगे मान ली गईं, आंदोलन खत्म हुआ। पानी कितना बरसा, कितना नहीं इसका फीड़बैक आने में अभी वक्त लगेगा..

-माधव जोशी