Thursday 10 August 2017

इंदिरा से राहुल तक

" परम संतोष "

आज इस बात का संतोष है कि
मुझे आज़ादी के आंदोलन में कूदने का अवसर
नहीं मिला...अन्यथा मेरी सारी मेहनत
नेहरू-गांधी के खाते में चली जाती
और मैं विपक्ष में बैठ कर घंटी बजा रहा होता...
यहां तक कि मेरी पुश्ते, इंदिरा से राहुल पर्यंत यह ताने सुनते-सुनते ऊब चुकीं होती कि "उस वक्त कुछ ऐसे भी लोग थे, जिनका आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा।" 🤣🤣

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