Friday 4 March 2016

जागो कन्हैया जागो...

जागो कन्हैया जागो
कन्हैया की मूर्खता का अंदाजा उसके भाषण से लगाया जा सकता है। वह मोदी जी से कह रहा है...हम क्या मांगे आज़ादी..
आज़ादी वह भी गरीबी से...अरे मूर्ख इस देश को गरीबी मोदी ने नहीं, साठ साल के कांग्रेस शासन ने दी है। तुम्हें यह गरीबी तुम्हारे बिहार के लालू-नीतीश ने दी है। जिस गरीबी की तुम बात कर रहे हो,वह किसी और ने नहीं तुम्हारे ही वामपंथी नेताओं ने दी है। जिन्हें तुम अपना आदर्श मानते हो। यदी तुम्हारी नज़रे ठीक हैं तो एक बार गौर से बंगाल, बिहार जैसे राज्यों की तरफ देखो...तुम्हें सब समझ आ जाएगा। इस देश की गरीबी मोदी की देन नहीं है। इस देश की गरीबी तुम जैसे मूर्ख लड़को की देन है। जो मेहनत करने के बजाए...कैंपस में नारे लगाने में अपनी शान समझते हैं। तुम जैसों को गरीबी से लड़ना नहीं है। उसे पालना, पोसना और बड़ा करना है ताकि तुम कल नेता बन सको। तुम्हें तुम्हारी गरीबी की इतनी ही चिंता होती तो कॉलेज खत्म होने के बाद तुम कैंपस में नेतागीरी नहीं कर रहे होते। तुममें गरीबी से लड़ने की समझ होती तो कैंपस में लेदर का जैकिट और जींस की पैंट पहनकर स्टाईल मारने की जरूरत नहीं होती। तुम्हें गरीबी इतनी ही डसती तो तुम गांधी की तरह अपने कपड़े अब तक दान कर चुके होते। तुम चाहते तो किसी होटल, दुकान, मॉल या शो रूम में पार्ट टाइम काम कर रहे होते। महीना दर महीना अपने मां-पिता को चार पैसे भेज रहे होते। लेकिन नहीं... जेएनयू की सारी मुफ्त सुविधाएं पाकर तुम मगरूर हो गए हो। तुम्हें काहे की गरीबी कि चिंता। गरीबी से तुम नहीं हम जैसे करदाता लड़ रहे हैं। हम अपना टैक्स इसलिए कटवा रहे हैं ताकि गरीब घर से आए बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिल सके। ताकी पढ़-लिखकर तुम गरीबी के नारे नहीं बल्कि उसे दूर करने के उपाय बता सको। ताकी कल जब तुम कुछ बनो तब गर्व से कह सको कि मुझे मेरी गरीबी से हज़ारो-हज़ार करदाताओं ने निजाद दिलाई है। मैं उन करदाताओं को शत-शत नमन करता हूं। जिन्होंने सचमुच गरीबी से जंग लड़ने में इस देश का साथ दिया है। लेकिन नहीं तुम जैसे एहसान फरामोश ऐसा कभी नहीं कह सकते।
असल बात तो यह है कि तुम्हें गरीबी से कोई लेना देना नहीं है। तुम्हें तो गरीबी के नाम पर अपना लाल परचम लहराना है ताकी अगले सौ लालों तक तुम इस देश में गरीब और गरीबी को बनाए रख सको। यदि तुम्हें गरीबी की इतनी ही चिंता है तो अपने नज़दीकी बैंक शाखा में जाओ। वहां से स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया जैसी सरकारी योजना का लाभ उठाओ। लोन के लिए अप्लाई करो। काम करो। अपना एक व्यवसाय खड़ा करो। चार गरीबों को नौकरियां दो। ये कैंपस में खड़े होकर नारे लगाने से गरीबी दूर होने वाली नहीं है। शायद तुम नहीं जानते कि गरीबी का एक नारा सौ गरीबो को जन्म देता है। कहां तो तुम कहते हो कि गरीबों को भीख नहीं रोज़गार चाहिए। यदि ऐसा है तो एक बार फिर अपने बिहार, अपने बंगाल की तरफ देखो। क्यों वहां से सारे कल कारखाने तबाह कर दिए गए। पूछो अपने आकाओं से कि क्या उन्होंने ऐसा कर गरीबी खत्म की या उसे बढ़ाया।
प्यारे भाई, जीवन में कुछ सकारात्मक सोचो। लाल सलाम कहने भर से गरीबी दूर हो जाती तो अब तक बंगाल तरक्की के रास्ते पर होता। लाल सलाम कहने भर से गरीबी से जंग जीती जाती तो इस दुनिया की आधे से अधिक आबादी लाल होती। सूरज भी लाल निकलता और बसंत का रंग भी लाल कहा जाता।  चीन का लाल झण्डा भी आज दुनिया में लाल सलाम की वजह से नहीं अपने औद्योगिक विकास की वजह से बुलंद है।
हंसी तो तब आती है जब तुम गरीबी से ल़ड़ने के लिए राहुल और केजरीवाल जैसे नेताओं का साथ खड़े होते हो। ऐसे नेता जिन्होंने कभी गरीबी का ओर-छोर तक देखा नहीं है। जिन्हें तुम्हारे पेट की भूख नहीं मालूम...तुम्हारे ओठों की प्यास नहीं मालूम...जिन्हें नहीं मालूम की कड़कड़ाती ठंड में बिना कपड़े के कैसे रात गुजारी जाती है। तुम ऐसे नेताओं के साथ गरीबी की जंग लड़ना चाहते हो?
मूर्खता मत करों...अब भी वक्त है सम्हल जाओ। तुम नहीं जानते कि तुम्हारे ये गरीबी के नारे तुम्हारे आकाओं को कितना आनंद देते हैं। तुम्हें तुम्हारे भूखे पेट की इतनी ही चिंता है तो अपने ही नेता राजब्बर से उस ढ़ाबे का पता पूछो जहां 12 रुपए में भर पेट खाना मिलता है।

9 comments:

  1. बहोत सटीक बढिया

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  2. बहोत सटीक बढिया

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  3. करारा जवाब

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  4. Deshwaasiyon ko kuch Na kuch karna padega tabhi aise log sudherenge abhi election hone waale hai desh or apne PM sahab ke saath or majboot karo taaki aise logon ko sabak dikhaya jaa sake ki desh se gaddaron buri baat hai

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  5. Deshwaasiyon ko kuch Na kuch karna padega tabhi aise log sudherenge abhi election hone waale hai desh or apne PM sahab ke saath or majboot karo taaki aise logon ko sabak dikhaya jaa sake ki desh se gaddaron buri baat hai

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  6. You certainly echo the sentiments of millions of people across the world. A person from poor family can take up the issue by being in the system and not by standing out and just questioning. If he is the leader of JNU and cliams that he did not speak against nation then he should bring out the students who started all this.

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  7. बिलकुल सटीक लेख

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  8. बिलकुल सटीक लेख

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